Friday, October 31, 2008

चार सौ बीस - एपिसोड 71

"जी हाँ. मेरा डाएरेक्ट कान्टेक्ट चाँद, तारों, ग्रहों सभी से हर समय रहता है. जब उनकी छाया मैं किसी की हथेली पर देखता हूँ तो उस हथेली के भविष्य के बारे में सब कुछ जान लेता हूँ."
"तो ठीक है. मेरा हाथ देखकर बताओ कि आजकल मेरे पति देर से घर क्यों आ रहे हैं. "

मुसीबतचंद कुछ देर उसके हाथ की लकीरें देखता रहा फिर बोला, "आजकल एक काली मुसीबत उनका पीछा कर रही है."

"मैं समझ गई. वही कलमुही होगी." अन्दर से क्रोधित स्वर में कहा गया.
"कौन कलमुही?" मुसीबतचंद ने पूछा.
"अरे वही. दफ्तर में क्लर्क है. काली कलूटी है, मगर दिमाग सातवें आसमान पर रहता है. मेरे पति को तो पूरी तरह अपने वश में कर लिया है. हाय हाय मेरी किस्मत फूटी थी जो ऐसा रंगीला पति मिला. शादी से पहले कहा करते थे कि शादी के बाद किसी लड़की की ओर आंख उठाकर भी न देखूँगा. अब तो मेरी ही ओर आंख उठाकर नही देखते. क्या बताऊँ." अन्दर शायद अपने माथे पर दोहत्थड़ मारा गया. मुसीबतचंद सकपकाया हुआ वहां खड़ा था.
उसकी समझ में नही आ रहा था कि अन्दर जाकर दिलासा दे या चुपचाप वहां से खिसक ले. किंतु खिसकने में पाँच रुपये की हानि हो रही थी. "बहन जी, सब्र कीजिये. बहुत जल्द हालत बदलेंगे और आपके पति आपकी ओर वापस पलट आयेंगे." वह बोला.
"अरे कैसे सब्र कर लूँ, चंद्राअचार जी. मैं तो अब छोडूंगी नहीं उन्हें. आने दो शाम को. अभी तक तो मुझे केवल शक था. आज वह ख़बर लूंगी कि ..." दांत पीसते हुए कहा गया.

"ज़रूर ख़बर लीजियेगा बहन जी. मेरा विचार है कि घर के सारे मज़बूत बर्तन ढूँढकर रख लीजिये. अच्छा मैं चलूँगा. यदि मेरी फीस दे दीजिये तो कृपा होगी." अन्तिम वाक्य वह धीरे से बोला.
अन्दर से उसी प्रकार बडबडाते हुए पॉँच रुपये थमा दिए गए.एक बार फिर वह आवाज़ लगाते हुए आगे बढ़ने लगा.

अभी वह थोडी ही दूर गया था कि सामने से आते एक व्यक्ति ने उसे रोक लिया. उस व्यक्ति के पांव लड़खड़ा रहे थे. और मुंह से आती गंध यह बता रही थी कि वह अभी अभी एक आध बोतल चढाकर निकला है.
"ए, क्या तुम भविष्य की बातें बताते हो?" उसने मुसीबतचंद के सामने ऊँगली लहराई.

"मेरा हाथ देखकर बताओ कि मुझे अगली बोतल कब मिलेगी." उसने लडखडाती ज़बान के साथ पूछा और अपना हाथ आगे बढ़ा दिया.

मुसीबतचंद ने उसका हाथ देखा और बोला, "गटर में गिरने के बाद."

1 comment:

seema gupta said...

मेरा हाथ देखकर बताओ कि मुझे अगली बोतल कब मिलेगी." उसने लडखडाती ज़बान के साथ पूछा और अपना हाथ आगे बढ़ा दिया.

मुसीबतचंद ने उसका हाथ देखा और बोला, "गटर में गिरने के बाद."

" ha ha ha ha ha ha ha ha hath dikha kr pucha bhe to kya pucha na , great sense of humour"

Regards