"इसमें गुस्सा होने की क्या बात है. आज नहीं तो कल सभी तुम्हें मिसेस हंसराज कहेंगे." इस बार अजनबी की आवाज़ बदल गई थी. और सोनिया ने गहरी साँस छोड़ी, क्योंकि यह हंसराज का स्वर था.
"ओह, तो तुम हो. तुमने तो मुझे डरा ही दिया था." वे दोनों अन्दर आ गये. हंसराज ने कमरा बंद करके लाक कर दिया.
"यह हुलिया क्यों बदल रखा है? कहीं पुलिस तो नही पीछे पड़ गई?"
"ऐसी कोई बात नहीं. पहले मैं देखना चाहता हूँ कि आई कार्ड सही जगह पर है या नहीं." हंसराज ने सूटकेस उठाया और खाली करने लगा. नीचे ऐश्वर्या राय के फोटो के नीचे लेओनार्दो का पोर्ट्रेट मौजूद था.
सूटकेस का सामन रखकर उसने दोबारा सूटकेस बंद कर दिया और बिस्तर पर अधलेटा होकर दो तीन गहरी सांसें छोड़ीं.
"अब बताओ कि क्या बात है? उसमें कुछ सफलता मिली?"
"बहुत जल्द हम कामयाब होंगे. और दस लाख डालर हमारी मुट्ठी में होंगे. फिलहाल हमें सेठ के पास जाना है."
"कौन सेठ?"
"वही हलवाई. उससे कुछ रुपये हमें वसूलने हैं. चूंकि वह हमें पहचानता है इस कारण मुझे हुलिया बदलना पड़ा. और अब मैं तुम्हारा भी हुलिया बदलने जा रहा हूँ."
फ़िर हंसराज ने वह बैग उठाया जो अभी अभी अपने साथ लाया था और उसे खोलने लगा.
"यह बैग तो बहुत भरी है. इसमें क्या भर लाए हो?" सोनिया ने पूछा.
"मैं ने उस सेठ को ठगने की बहुत अच्छी तरकीब सोची है जो पहले से कहीं ज़्यादा कामयाब हो सकती है. उसी के लिए कुछ सामान लाया हूँ." हंसराज ने बैग खोलकर एक छोटा सा बक्सा निकला, "तुम जाकर बाथरूम के वाश बेसिन के पास टंगा शीशा उतार लाओ."
शीशा आ जाने के बाद हंसराज ने मेकअप करना शुरू कर दिया.
"तुमने मेकअप करना कब और कैसे सीखा?" सोनिया ने पूछा.
"एक पुलिस एक्सपर्ट से मैंने इसे सीखा था."
"क्या? एक पुलिस का आदमी तुम्हें यह कला सिखाने पर कैसे तैयार हो गया?" सोनिया ने आश्चर्य से पूछा.
.......continued
उपन्यास - सूरैन का हीरो और यूनिवर्स का किंग
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उपन्यास - सूरैन का हीरो और यूनिवर्स का किंग उस लंबी कहानी की अंतिम कड़ी है
जिसके पूर्व हिस्से आप उपन्यासों - सूरैन का हीरो और
शादी का कीड़ा, सूरैन का हीरो...
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