Sunday, July 13, 2008

चार सौ बीस - एपिसोड 45

"ओह, अब तो तुम्हें पूरी बात बतानी पड़ेगी." वह ठंडी साँस लेकर बोला, "बात ये है की मैं ने इसका सौदा सरकार से किया है. यानी अगर वे हमें दस लाख डालर अदा कर दें तो उन्हें हम आई. कार्ड वापस कर देंगे."
"ओह, तो ये बात है. तुमने उनसे संपर्क कब कर लिया?"
"उनसे अब तक मैं दो बार फोन पर बात कर चुका हूँ. पहली बार में तो उन्हें आई. कार्ड चोरी होने की ख़बर दी. वरना वे अब तक वहां रखे नकली आई कार्ड को असली समझते रहते. फिर जब दूसरी बार फोन किया तो उनसे डालरों की मांग कर ली."
"किंतु डालरों को रुपयों में बदलने में तो बहुत झंझट होगा. तुमने उनसे रुपए क्यों नहीं मांगे?"
"ऐसा मैं ने जान बूझकर किया. इससे सरकार यही समझेगी कि चोरी में किसी विदेशी का हाथ है. वह विदेशियों की तलाश में रहेगी और हम बचे रहेंगे."
"तो हमें कब तक यह रकम मिल रही है?" सोनिया ने पूछा.
"मिल जायेगी, उतावली क्यों हो रही हो. अभी हमें सरकार को दो तीन बार और खड़खड़ाना होगा."
"लेकिन जब रकम मिलने के बाद तुम उन्हें पोर...सारी, आई कार्ड देने जाओगे, तो वे तुम्हें पकड़ भी सकते हैं." सोनिया ने आशंकित होकर कहा.
"ये कैसे तुमने सोच लिया कि, मैं स्वयेम आई कार्ड देने जाऊँगा. मैं ने इसकी भी तरकीब सोच ली है." हंसराज बोला.
"ऐसी क्या तरकीब है?"
"वक्त आने पर मालुम हो जाएगा. अभी तो मैं ये सोच रहा हूँ की भरतपुर में आगे रहने के लिए पैसे कहाँ से आ सकते हैं. क्योंकि अब मेरी जेब खाली हो चुकी है."
"जब हम लोग यहाँ आने की तय्यारी कर रहे थे तो तुमने अपना सारा सामान घर से निकालकर दूसरी जगह रख दिया था. ऐसा क्यों किया तुमने?"
"इसलिए क्योंकि मैं ने मकान मालिक को तीन महीने से किराया नही दिया. मुझे न पाकर वह मेरे सामान पर कब्ज़ा कर सकता था. इसलिए मैं ने अपना सारा सामान अपने निजी घर में शिफ्ट कर दिया."
"जब तुम्हारे पास अपना ख़ुद का मकान है तो तुम किराए के मकान में क्यों रहते हो?" सोनिया ने आश्चर्य से पूछा.
"इस लिए क्योंकि अपने मकान में काफ़ी झंझट है. बिजली का बिल, पानी का बिल, और पता नही कौन कौन से खर्चे सहने पड़ते हैं. इसके अलावा पुलिस के डर से मुझे बार बार मकान बदलने पड़ते हैं. इसी लिए मैं किराए के मकान में रहना पसंद करता हूँ." हंसराज ने बताया.
"ऐसे कितने मकान होंगे जहाँ तुम बिना किराया दिए निकल लिए?"
.......continued

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