Sunday, July 6, 2008

चार सौ बीस - एपिसोड 44

मनोहरश्याम ने माउथपीस में कहा, "लेकिन फिर क्या कारण हो सकता है एडगर द्वारा पोर्ट्रेट को नकली बताने का?"
"ये एक ऐसी पहेली है जिसका हल हमें खोजना होगा. तुम अपने उस ग्रुप को बुलाकर पूछताछ करो जिन्होंने पोर्ट्रेट उड़ाया था. साथ ही किसी कलाकृति विशेषज्ञ को पकड़कर उस पोर्ट्रेट का निरीक्षण कराओ. तभी इस उलझन का समाधान हो सकता है." दूसरी ओर से कहा गया.
"ठीक है बॉस." मनोहरश्याम बोला. और दूसरी ओर से कनेक्शन कट गया.
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भरतपुर के होटल स्टार्स कैसिल का एक कमरा हंसराज और सोनिया ने अपने लिए बुक कराया था.
होटल के रजिस्टर में उन्होंने अपने को पति पत्नी के रूप में प्रकट किया था.
इसी होटल के रिसेप्शन हॉल में हंसराज की बूढे हलवाई से झड़प हुई थी.
"वह पोर्ट्रेट तुमने कहाँ रखा है?" सोनिया ने पूछा.
"मैं ने कितनी बार तुमसे कहा है कि उसका नाम मत लो. दीवारों के भी कान होते है. " हंसराज ने घूरकर कहा. फिर बोला, "ऐसा है कि उसको एक कोड नाम से पुकारते हैं. आगे से जब भी उसके बारे में कुछ कहना हो तो उसे आई कार्ड नाम से पुकारना."
"ठीक है. तो अब बताओ कि आई कार्ड कहाँ है?" सोनिया ने पूछा.
हंसराज ने अपनी अटैची उठाई और उसे खोलने लगा. अटैची के अन्दर जो वस्तुएं भरी थीं उन्हें वह उठा उठा कर बाहर रखने लगा. अंत में अटैची पूरी तरह खाली हो गई.उसकी पेंदी पर एक बड़ा सा पोस्टर बिछा हुआ था. जिस पैर ऐश्वर्या राय की तस्वीर बनी थी.
"ये देखो, यही है हमारा आई कार्ड." हंसराज ने एश्वर्या राय की तस्वीर की तरफ संकेत किया.
"ये कहाँ से हो गया आई कार्ड-------ओह, तो ये बात है." सोनिया का क्रोध भरा स्वर बदल कर सामान्य हो गया. क्योंकि हंसराज अब तक पोस्टर उठा चुका था. और उसके नीचे से लेओनार्दो का पोर्ट्रेट झाँक रहा था.
"अच्छी तरकीब है ये. किंतु ये चेक कैश कब होगा?" सोनिया ने पूछा.
"बहुत जल्द. क्योंकि मैं सरकार से बात कर चुका हूँ." हंसराज बोला. वह कुछ सोच रहा था.
"सरकार से बात की है? क्या मतलब?" सोनिया ने पूछा. और हंसराज चौंक पड़ा. क्योंकि उसने पहले का वाक्य बेध्यानी में बोला था.
..........continued

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