दावत किसी भी शादी का ऐसा पार्ट है जिस के बिना शादी का ख्याल ही अधूरा है. एक पल को निकाह न हो तो चलता है, लेकिन अगर दावत न हो तो पूरी बिरादरी में हुक्का पानी बंद हो जाने का खतरा पैदा हो जाता है. आजकल एक नई तरह की दावतों का रिवाज आम हो गया है. जिसे बुफे (भैंस का शार्ट) सिस्टम के नाम से जाना जाता है. ये दावत मेज़बान और मेहमान दोनों को राहत बख्शती है. न तो मेज़बान को खिलाने की ज़हमत उठानी पड़ती है, न मेहमान को मांगने की. लिहाजा दोनों ही खुश. और फर्निचर का किराया अलग बचता है. खड़े होकर खाते हुए किसी भी तरफ़ निकल जाएँ, कोई पूछने वाला नही. इस चक्कर में अक्सर प्लेटें पार हो जाती हैं. इन सब खूबियों के बावजूद बुफे सिस्टम में ज़ह्मतें भी बेशुमार हैं. ये मुझे उस वक्त मालुम हुआ जब मैं ने इस तरह की एक दावत का नज़ारा अपनी आँखों से देखा. पेशे खिदमत है इस दावत का आँखों देखा हाल........
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उपन्यास - सूरैन का हीरो और यूनिवर्स का किंग
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उपन्यास - सूरैन का हीरो और यूनिवर्स का किंग उस लंबी कहानी की अंतिम कड़ी है
जिसके पूर्व हिस्से आप उपन्यासों - सूरैन का हीरो और
शादी का कीड़ा, सूरैन का हीरो...
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