Tuesday, May 27, 2008

चार सौ बीस - एपिसोड 36

मुसीबतचंद सकपका कर अपने को उस व्यक्ति के चंगुल से अलग करने लगा. उसने जब पीछे घूमकर देखा तो एक दुबले पतले सज्जन जिनका कद काफी लंबा था, उनसे लिपटे हुए थे.
"माफ कीजिये भाई साहब, मैं ने आपको पहचाना नही." उन्हें अपने से दूर धकेलकर मुसीबतचंद बोला.
"तोम हंसराज हो?" उसने ऊँगली से मुसीबतचंद की और संकेत किया.
"नहीं. मैं तो मुसीबतचंद हूँ. हंसराज तो मेरे सर पर सारी मुसीबतें छोड़कर भाग गया. किंतु आप कौन सी मुसी...मेरा मतलब कौन सज्जन हैं?" मुसीबतचंद पीछे हटते हुए बोला क्योंकि वे सज्जन आगे बढ़ आये थे. और उनके मुंह से आता शराब का भभका मुसीबतचंद के लिए असहनीय था.
"मैं सोनिया का चाचा हूँ. अगर तुम हंसराज नही हो तो बताओ हंसराज कहाँ है? क्योंकि कई लोगों ने मुझे बताया है कि सोनिया हंसराज के साथ गई है. अब अगर वो मिल गई तो मैं उसे गो गोली से मार दूँगा." नशे के कारण उसकी आवाज़ लड़खड़ा रही थी.
"ओह, लेकिन तुमने उसे इतनी छूट क्यों दी कि वो हंसराज से मिलती जुलती रही और फिर उसके साथ चली गई." मुसीबतचंद ने कुर्सी पर बैठते हुए कहा. सोनिया का चाचा उससे पहले ही कुर्सी पर ढेर हो चुका था.
मुसीबतचंद की बात सुनकर वह तैश में आ गया. "तुमसे क्या मतलब, मैं चाहे किसी को छूट दूँ चाहे पकड़ लूँ. कल से मैं शराब को तरस रहा हूँ. बड़ी मुश्किल से आज एक बोतल उधार मिली है. अब सोनिया मिले तो उससे लेकर पैसे चुकाऊं."
"ओह, तो सोनिया तुम्हारे लिए पैसे लाती है. किंतु वह कौन सा धंधा करती है?" मुसीबतचंद ने पूछा.
"पता नही अब कौन सा धंधा करती है. पहले तो वह दुकानदारों से मांग मांग कर लाती थी. उसकी अच्छी सूरत देखकर सब उसे कुछ न कुछ पकड़ा देते थे. लेकिन जब से जवान हुई है मुझे नही मालुम कहाँ से पैसे लाती है. और मुझे इन सब से क्या मतलब. मुझे तो बस दो वक्त की बोतल से मतलब है. हाँ तो तुम जल्दी बताओ कि सोनिया कहाँ है."
"देखिये मिस्टर!" मुसीबतचंद ऊंची आवाज़ में बोला, "मुझे नही मालुम कि हंसराज और सोनिया कहाँ गये हैं. और अब तुम भी चलते फिरते नज़र आओ. मुझे कुछ काम करना है."
"जा रहा हूँ....जा रहा हूँ. मैं ख़ुद ही पता कर लूंगा कि वे लोग कहाँ हैं." सोनिया का चाचा उठ खड़ा हुआ. उसके जाने के बाद मुसीबतचंद देर तक बड़बड़ाता रहा.
"साला, चाचा बनता है. इसको इतनी भी परवाह नही कि उसकी भतीजी क्या कर रही है. खैर मुझे क्या. मुझे तो अब चलने कि तय्यारी करनी चाहिए. वरना अगर मकान मालिक दुबारा आ गया तो मेरी खैर नही." वो जल्दी जल्दी अपना सामान समेटने लगा.
...........continued

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