मुसीबतचंद ने गौर से सिपाहियों को देखा फिर चौंक कर एक सिपाही से बोला,"दीवान जी , अपना हाथ बढ़ाईये."
"क्यों?" त्योरियां चढाकर सिपाही बोला.
"मैं आपके मस्तक पर सौभाग्य के चिन्ह देख रहा हूँ. हाथ देखकर मैं इसकी सत्यता देखना चाहता हूँ." मुसीबतचंद ने सिपाही का हाथ अपने हाथ में लिया और गौर से लकीरें देखने लगा.
"मेरा अनुमान सही निकला. जल्दी ही तुम्हारी तरक्की होगी और तुम इंसपेक्टर बना दिए जाओगे." मुसीबतचंद ने खुशखबरी सुनाई.
"क्या सच!" सिपाही की ऑंखें फैल गईं, "तुम्हें कैसे पता चला?"
"मुझे ज्योतिषाचार्य मुसीबतचंद के नाम से जाना जाता है. अमिताभ बच्चन के सुपरस्टार बनने की भविष्यवाणी मैं ने ही की थी. मैं ने ही भविष्यवाणी की थी कि बीसवीं शताब्दी में तृतीय विश्व युद्ध नही होगा."
"तुम तो एक महान ज्योतिषी हो. यदि तुम्हारी भविष्यवाणी सत्य सिद्ध हो गई तो मैं राम खिलावन को तुरंत हवालात में डलवा दूँगा. साला कभी अपनी टैक्सी का टैक्स नही देता."
"तो अभी उसे क्यों नही हवालात में डलवा देते?" मुसीबतचंद ने पूछा.
"अभी तो सब इंसपेक्टर उसका बचाओ कर देता है. वो राम खिलावन का ममेरा भाई है."
"तो फिर ठीक है. इंसपेक्टर बनते ही तुम अपने सारे दुश्मनों कि खाट खड़ी कर देना."
अब तक पुलिस वहां कि कार्यवाई पूरी कर चुकी थी और वे लोग गाड़ियों में बैठने लगे थे. फिर गाडियाँ थाने के लिए प्रस्थान कर गईं.
................
हंसराज उस पेड़ के पास आया जहाँ सोनिया खड़ी थी.
"क्या हुआ?" उसने आतुरता से पूछा.
"सफलता." हंसराज ने जवाब दिया.
"तो अब जल्दी से निकल चुको. क्योंकि पुलिस चारों ओर लोगों की तलाशी ले रही है."
"क्यों? क्या पोर्ट्रेट चोरी की बात पता चल गई है?" हंसराज ने चैंक कर पूछा.
"नहीं. यहाँ एक इमारत में बम फटा है. उसी की छानबीन करने पुलिस आई है."
"ओह, फिर तो हमें सावधानी से यहाँ से निकलना होगा." हंसराज ने सोनिया का हाथ पकड़ा और वे लोग धीरे धीरे उस इलाके से दूर जाने लगे.
.........continued
उपन्यास - सूरैन का हीरो और यूनिवर्स का किंग
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उपन्यास - सूरैन का हीरो और यूनिवर्स का किंग उस लंबी कहानी की अंतिम कड़ी है
जिसके पूर्व हिस्से आप उपन्यासों - सूरैन का हीरो और
शादी का कीड़ा, सूरैन का हीरो...
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