लोग भौंचक्के होकर उधर देखने लगे थे. फिर लोगों को होश आया और मलबे में दबे लोगों को निकलने के लिए वे चारों ओर से दौड़ पड़े. इन लोगों में आर्ट गैलरी के पहरेदार भी थे.
किंतु किसी ने ये ध्यान नही दिया कि तीन व्यक्ति दबे पाँव लोगों की नज़रों से बचते हुए आर्ट गैलरी की ओर बढ़ रहे थे.
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वह पाइप हंसराज के लिए उपयोगी सिद्ध हुआ जो छत्त के पानी की निकासी के लिए लगा था. जूते अपनी जेबों में ठूसकर वो फुर्ती से उसी के सहारे ऊपर चढ़ने लगा. इस ओर अपेक्षाकृत अँधेरा था और काले कपडों ने उसके देख लिए जाने की सम्भावना को और कम कर दिया था. पीठ पर एक काले चमड़े का बैग था जो पहने हुए कपडों से समानता प्रकट कर रहा था. कुछ देर में वो छत पर था. फिर वहां से आर्ट गैलरी के अन्दर पहुँचना उसके लिए कुछ कठिन न था. जैसे ही वो नीचे पहुँचा, उसे एक ज़ोरदार धमाका सुनाई दिया. वो चौंका, लेकिन आगे बढ़ता रहा. अब वो सावधानी से उस कमरे की तरफ़ बढ़ रहा था जहाँ लेओनार्दो की कलाकृति रखी थी. उसे यहाँ पहरेदारों की उपस्थिति की आशा थी. किंतु यहाँ पूरी तरह सन्नाटा देखकर उसे आश्चर्य हुआ.
जल्दी ही वह प्रयोजनीय कमरे के सामने पहुँच गया. किंतु उसी समय उसे दूसरी ओर से कुछ आहट सुनाई पड़ी और वो जल्दी से बगल के कमरे में छुपने के लिए घुस गया. उसी समय तीन व्यक्ति कमरे के सामने आकर रुके. ये सौम्य का ग्रुप था. तीनों पूरी तरह चौकन्ने दिखाई पड़ रहे थे. हंसराज दरवाज़े की झिर्री से उनकी कारवाई देखने लगा.
उन्होंने कमरे के द्वार पर लगा ताला देखा, फिर उनमें से एक ने जेब से मुडा तार निकालकर ताले के कीहोल में लगा दिया. खट की हलकी आवाज़ हुई और ताला तुरंत खुल गया. दरवाज़ा खोलकर वे लोग अन्दर घुस गये.
हंसराज उनकी कारवाई देखने के लिए कमरे से बाहर आ गया और कलाकृति वाले कमरे के बगल में खड़े होकर उन्हें देखने लगा. उनमें से वही व्यक्ति अब लोहे के कटघरे का ताला खोल रहा था जिसने बाहर का ताला खोला था. वह व्यक्ति इस काम का एक्सपर्ट मालुम होता था क्योंकि कटघरे का ताला भी तुरंत खुल गया.
दूसरा व्यक्ति, जिसकी पीठ पर एक बैग था, आगे बढ़ा और उसने अपने बैग से हूबहू लेओनार्दो की कलाकृति जैसा चित्र निकालकर लेओनार्दो की कलाकृति के स्थान पर रख दिया और वह कलाकृति उसने अपने बैग में रख ली.
"साढ़े ग्यारह मिनट." तीसरा व्यक्ति धीमे स्वर में फुसफुसाया.
.................अगले सिल्वर जुबली एपिसोड में पढ़ें, एक ट्विस्ट..........continued
उपन्यास - सूरैन का हीरो और यूनिवर्स का किंग
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उपन्यास - सूरैन का हीरो और यूनिवर्स का किंग उस लंबी कहानी की अंतिम कड़ी है
जिसके पूर्व हिस्से आप उपन्यासों - सूरैन का हीरो और
शादी का कीड़ा, सूरैन का हीरो...
3 comments:
Great going Zeashan,please keep it up !
Than you Arvind Ji
कहानी काफी रोचक है। बधाई।
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