Thursday, March 20, 2008

चार सौ बीस - एपिसोड 21

"योजना ये है कि मुसीबतचंद को ज्योतिषी के रूप में आर्ट गैलरी के पास बिठाया जाएगा. और उसकी पोटली में ये नकली पोर्ट्रेट छिपा दिया जायेगा. फिर प्रदर्शनी बंद होने के थोड़ी देर बाद हम आर्ट गैलरी पहुंचेंगे.
तुम्हें आर्ट गैलरी के बाहर एक निर्धारित स्थान पर खड़ा रहना होगा. जबकि मैं एक खिड़की तोड़कर अन्दर घुसूंगा. पहरेदारों को चकमा देकर पोर्ट्रेट उड़ाना मेरा काम होगा. जिसे मैं प्लास्टिक के थैले में रखकर तुम्हें दे दूँगा. और तुम्हें उसी समय घर वापस आना होगा. हो सकता है कि पुलिस को तुरंत पोर्ट्रेट चोरी का पता चल जाये अतः मैं किसी तरह उन्हें मुसीबतचंद के पीछे लगा दूँगा. पुलिस कुछ समय के लिए उसमें उलझ जायेगी और हम साफ बच जायेंगे." हंसराज ने अपनी योजना बताई.
"किंतु मुसीबतचंद पुलिस को हमारे बारे में बता देगा."
"ये तो तब होगा जब पुलिस को पता चलेगा की पोर्ट्रेट नकली है. उस समय पुलिस उससे गहरी पूछताछ करेगी. तब तक हम लोग दूर निकल चुके होंगे. पोर्ट्रेट मिलते ही हम ये शहर छोड़ देंगे."
"योजना तो अच्छी है. लेकिन फिर भी काफी रिस्क है."
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"आर्ट गैलरी की बगल में एक महत्वपूर्ण सरकारी इमारत है. ठीक नौ बजे शाम को वहाँ बम का धमाका होगा, जिसके फलस्वरूप इमारत का एक भाग मलबे में बदल जायेगा. ये धमाका हमारा एक ग्रुप करेगा." गंगाराम अपनी योजना बाकी लोगों को समझा रहा था, "इस धमाके से आर्ट गैलरी के पहरेदार वहाँ दौड़ जाएंगे और हमारा दूसरा ग्रुप आर्ट गैलरी के अन्दर प्रविष्ट हो जाएगा. अब यहाँ रोशन और सौम्य का काम शुरू होगा. रोशन खंभे पर चढ़कर वह कनेक्शन काट देगा जो कैमरे को कंट्रोल रूम से मिलाता है. ये कार्य ठीक नौ बजकर दस मिनट पर होगा और नौ बजकर तेरह मिनट पर ये कनेक्शन दुबारा जोड़ दिया जाएगा. इन तीन मिनटों में सौम्य ग्रुप को वहां से पोर्ट्रेट उठाकर उसकी जगह पर नकली पोर्ट्रेट रखना है. नकली पोर्ट्रेट रखने से कंट्रोल रूम को कोई शक नही होगा. वे यही समझेंगे की टीवी में कोई अस्थाई गड़बड़ हो गई थी जो तुरंत दूर हो गई."
"ये नकली पोर्ट्रेट कहाँ से मिलेगा जो वहाँ रखा जाएगा?" सौम्य ने पूछा.
गंगाराम ने एक बटन दबाया और सामने दीवार का कुछ भाग खिसक गया. अब वहाँ एक अलमारी दिखाई पड़ रही थी जिसमें पोर्ट्रेट रखा था.
"ये रहा वो नकली पोर्ट्रेट."
"लेकिन अगर पहरेदार धमाका सुनकर भी अपनी जगह डटे रहे तो हमारी स्कीम फेल हो सकती है."रोशन बोला.
"ऐसा नही होगा. क्योंकि ये एक मनोवैज्ञानिक तथ्य है की आसपास दुर्घटना होने पर लोग तुरंत मामला जानने वहाँ पहुँच जाते हैं. यदि कोई पहरेदार वहाँ नही गया तो उसे बेहोश कर दिया जाएगा. ये काम सौम्य ग्रुप का होगा." गंगाराम ने रोशन के अन्देशों को निरस्त कर दिया.
"मेरे गुट में कितने लोग होंगे?" सौम्य ने पूछा.
"तुम्हें मिलाकर तीन व्यक्ति. रोशन को अपना काम अकेले करना होगा. जबकि बम के धमाके के लिए सरकारी इमारत के पास कूड़ेदान में एक टाइम बम रख दिया जाएगा जो ठीक नौ बजे फट जाएगा."
"इस कार्य के लिए नौ बजे का समय क्यों रखा गया है?" रोशन ने पूछा.
"क्योंकि आर्ट गैलरी के बंद होने का समय आठ बजे है. उसके बाद पहरेदार कुछ समय के लिए निश्चिंत होते हैं. जैसे जैसे रात बीतेगी, पहरा फिर सख्त हो जायेगा. इसलिए नौ बजे का टाइम सबसे बेस्ट है हमारे काम के लिए." गंगाराम ने स्पष्ट किया.
पूरी योजना का एक बार फिर गहराई से अध्यन करने के पश्चात उनकी मीटिंग समाप्त हो गई.
..........continued

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