Thursday, March 6, 2008

चार सौ बीस - एपिसोड 17

ये एक बड़ा हाल था और यहाँ अन्य जगहों की अपेक्षा काफी अधिक भीड़ थी.
हाल के बीचों बीच लेओनार्दो की पेंटिंग शीशे के एक बाक्स में रखी थी. जिसके चारों तरफ़ तारों से एक कटघरा बनाया गया था.
आठ दस सिक्यूरिटी गार्ड्स चारों तरफ़ मुस्तैदी से खड़े थे. पेंटिंग देखने के लिए आये सभी लोगों को तारों के कटघरे से छह फुट पीछे रोक दिया जाता था.
इन लोगों ने पेंटिंग के दर्शन किए जो सैंकडों वर्षों बाद भी लेओनार्दो की कलात्मक गहराइयों की मौन कहानी कह रही थी.
"पेंटिंग तो वास्तव में बहुत शानदार है." हंसराज ने प्रशंसात्मक दृष्टि से देखते हुए कहा.
"हाँ. घर के ड्राइंगरूम में लगाने पर घर की शोभा में चार चाँद लग जायेंगे." मुसीबत्चंद बोला.
"मूर्ख. ये ड्राइंगरूम में लगाने के लिए नही है." हंसराज ने कहा. सोनिया ने आगे बढ़कर पास से पोर्ट्रेट देखना चाहा किन्तु एक गार्ड ने आगे बढ़कर उसे पीछे कर दिया.
हंसराज आस पास के वातावरण का गहराई से निरीक्षण कर रहा था. सुरक्षा का काफ़ी सख्त प्रबंध था जिसमें से पोर्ट्रेट उडाना लगभग असंभव था.
......continued

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