सोनिया जब घर में दाखिल हुई तो सामने ही सर से पैर तक चादर में लिपटा कोई सो रहा था.
"अभी तक रात की नींद पूरी नही हुई." कहते हुए सोनिया ने चादर खींच ली और फिर हडबडा कर पीछे हट गई. क्योंकि सामने हंसराज की बजाये मुसीबतचंद लेता हुआ उसकी ओर भौंचक्का होकर देख रहा था.
"मेरा नाम मुसीबतचंद ठीक ही पड़ गया है. हर टाइम मेरे ऊपर मुसीबत आती रहती है. कभी बदसूरत तो कभी खूबसूरत." दार्शनिकों के स्टाइल में मुसीबतचंद बोला.
"कौन हो तुम? हंसराज कहाँ है?" सोनिया ने पूछा.
"मैं ज्योतिषाचार्य मुसीबतचंद हूँ. हंसराज मेरे लिए जलपान का प्रबंध करने गया है. क्या तुम्हें अपने भविष्य के बारे मे जानना है? मेरा विचार है कि तुम हंसराज की बहन हो. किन्तु हंसराज ने तो शायद मुझे बताया था कि उसकी कोई बहन नही है. फिर तुम कहाँ से टपक पड़ी?" नान स्टाप बोलते हुए मुसीबतचंद रुका. क्योंकि सोनिया अन्दर बढ़ गई थी.
सोनिया किचन में पहुँची जहाँ हंसराज ने चाय के लिए पानी चढा रखा था.
"यह नमूना कहाँ से आया है?" उसने ऑंखें तरेर कर पूछा.
"वह मुसीबतचंद है. गाँव से आया है. और हाथ देखकर लोगों का भविष्य बताता है. तुम चाहो तो उसे हाथ दिखाकर अपना भविष्य मालूम कर लो." हंसराज बोला.
"मुझे अपना भविष्य पता है. ये यहाँ क्यों आया है?"
"फिक्र मत करो. थोड़े टाइम की मुसीबत है ये. जल्दी ही मैं उसे यहाँ से चलता करूंगा."
"खैर ये बताओ तुमने आज का अखबार पढ़ा?"
"नहीं. क्यों? कोई खास बात?"
"हाँ. दारूलशफा आर्ट गैलरी में आज से चित्रों की प्रदर्शनी लगने वाली है."
"इसमें खास बात क्या है? चित्रों की प्रदर्शनी तो लगती ही रहती है." हंसराज ने मुंह बिचकाया.
"पूरी बात तो सुनो. इस प्रदर्शनी में प्रसिद्ध प्राचीन कलाकार लेओनार्दो दा विन्ची की बेशकीमती कलाकृति भी है. जिसकी कीमत विश्व बाज़ार में पाँच करोड़ ङालर है. इसे प्रदर्शनी के लिए ख़ास तौर से इटली से मंगाया गया है."
.......continued
उपन्यास - सूरैन का हीरो और यूनिवर्स का किंग
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उपन्यास - सूरैन का हीरो और यूनिवर्स का किंग उस लंबी कहानी की अंतिम कड़ी है
जिसके पूर्व हिस्से आप उपन्यासों - सूरैन का हीरो और
शादी का कीड़ा, सूरैन का हीरो...
2 comments:
Great Going Zesha ..KEEP IT UP ...
Thank you Arvind Ji for motivation.
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