चार सौ बीस - एपिसोड 9
"कोई जाग न रहा हो." सोनिया फुसफुसाई.
"सब सो रहे हैं. देख नही रही हो, हर कमरे की लाईट बुझ चुकी है." हंसराज ने कहा. फिर वे लोग सीढियों की सहायता से प्रांगण में पहुँच गये.
अब हंसराज अनुमान के सहारे उस कमरे की तरफ़ बढ़ रहा था जहाँ माल होने की सम्भावना हो सकती थी.
जैसे ही वे एक कमरे के पास पहुंचे, ज़ोरदार खर्राटों की आवाज़ सुनाई दी.
"लगता है लाला इसी कमरे में है." हंसराज फुसफुसाया.
अचानक उसका पैर किसी लोटे से टकराया और टनन की एक तेज़ आवाज़ हुई.
खर्राटे बंद हो गए. फिर लाला की आवाज़ सुनाई पड़ी.
"कौन है!"
"म्याऊं." हंसराज ने बिल्ली की आवाज़ निकाली.
"ये बिल्लियाँ और परेशान किया करती हैं." लाला बड़बड़ाया और दुबारा सोने की कोशिश करने लगा.
हंसराज ने लम्बी साँस ली और वे फिर आगे बढ़ने लगे. किन्तु उनका भाग्य ही शाएद खाब था क्योंकि इसबार सोनिया का हाथ किसी बर्तन से टकरा गया.
"कौन है अब?" लाला की आवाज़ एक बार फिर आई.
"द..दूसरी बिल्ली." घबराहट में सोनिया के मुंह से निकला. हंसराज ने तुरंत उसका मुंह दबा दिया किन्तु तीर कमान से निकल चुका था.
"ये आज बिल्लियों पर क्या आफत आई है." लाला करवट बदलते हुए बोला. फिर चौंक पड़ा. "ऍन...ये बिल्लियाँ आदमी की भाषा कब से बोलने लगीं." उसने पास रखा हुआ डंडा उठाया और उठकर बैठ गया.
"मरवा दिया तूने. अब जल्दी से भाग." हंसराज बड़बड़ाया और जल्दी से उस ओर मुड गया जिधर से आया था.
फिर उसने कुछ सोचा और जेब से एक डोरी निकलकर बरामदे में बीचोंबीच बाँध दी.
.......continued
शार्ट फिल्म 'मुर्दे की आवाज़'
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1 comment:
जीशान जी, आपको बहुत-बहुत बधाई।
आपने विज्ञान कथाओं में हास्य रस का समावेश कर एक नया प्रयोग किया है।
हमारी हार्दिक शुभकामनाएं।
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