Saturday, December 29, 2007

Hindi Comedy Novel

चार सौ बीस - एपिसोड 7
"अरे वही साला लाला है, जो मेरे कुछ रुपये ऐंठ ले गया. आज उसके घर की सफ़ाई करनी है."
"मुझे भी चोरी करना सिखा दो न." वह धप से सोफे पर बैठ गई.
"पागल हो गई हो. अगर पकड़ी गई तो पहले तो घर का मालिक तुम्हारा कीमा बनाएगा. फिर पुलिस हवालात में कबाब बनाएगी. और घर आने पर तुम्हारा चाचा तुम्हें चटनी बना देगा."
"अरे वह क्या चटनी बनाएगा. हर समय तो शराब के नशे में मुर्दा पड़ा रहता है. मेरे ही हाथों तो उसे खाना मिलता है. और फिर मेरे उस्ताद तो तुम होगे. तुम तो कभी पकड़े नही जाते फिर मैं क्यों पकड़ी जाऊंगी." सोनिया ने दलील दी.
"तुम्हें चोरी वोरी करने की कोई ज़रूरत नही है डार्लिंग. मैं जल्द ही तुमसे शादी कर लूंगा. उसके बाद मैं जेबें काट काट कर लाया करूंगा और तुम मुझे गरम गरम पराठे पकाकर खिलाया करना." हंसराज ने उसे प्यार से समझाया.
"पता नही वह शुभ दिन कब आयेगा." सोनिया ने ठंडी साँस भरी."मुझे तुम चोरी करना सिखा दो. शादी के बाद मैं तुम्हारा हाथ बंटाया करूंगी."
"फिर वही मुर्गे की एक टांग. मैं कह रहा हूँ कि चोरी वोरी तुम्हारे बस की बात नही." हंसराज ने फिर समझाया.
"अच्छा यह पर्स किसका है?" सोनिया ने एक पर्स निकाल कर दिखाया.
"ये तो मेरा पर्स है. ये तुम्हें कहाँ से मिला?" हंसराज ने चौंक कर अपनी जेबें टटोलीं.
"जब तुमने मुझे रुपए दिए थे उसी समय मैं ने इसे पार कर लिया था. अब बताओ मैं चोरी कर सकती हूँ या नही?"
"ठीक है बाबा. आज रात को लाला के घर तुम मेरे साथ ही चलना." हंसराज ने हार मानते हुए कहा.
............continued

No comments: