चार सौ बीस - एपिसोड 6
"इतने रूपये!" लाला ने आँखें फैलाते हुए कहा. " ये पचास हज़ार से किसी भी तरह कम नही होंगे. मेरा ब्याज मिलाकर पन्द्रह हज़ार बनता है. इसमे से निकालकर दे दो."
"म मगर लाला जी..." हंसराज ने कुछ कहना चाहा.
"अगर मगर कुछ नही. जल्दी से मेरी रकम अदा करो. मुझे यहाँ बैठे बहुत देर हो गई है." लाला टेंशन में आ गया था.
फिर हंसराज ने कुछ नही कहा और चुपचाप पन्द्रह हज़ार निकाल कर लाला के हवाले कर दिए.
लाला ने रुपए गिनकर जेब में रखे और बाहर जाते हुए बोला."फिर कभी उधार की ज़रूरत पड़े तो मांग लेना. अब चलता हूँ."
"ले गया कमबख्त. मेरे पन्द्रह हज़ार फुर्र हो गए." लाला के जाने के बाद वह बड़बड़ाते हुए ब्रीफकेस बंद करने लगा.
"लेकिन मेरा नाम भी हंसराज है. उड़ती चिडिया को पिंजरे में बंद कर के रहूँगा." उसने ब्रीफकेस सोफे के नीचे खिसका दिया.
फिर अचानक किसी ने उसकी ऑंखें पीछे से आकर बंद कर दीं.
"अब कौन आ टपका." उसने आंखों पर रखे हाथ पर अपना हाथ रखते हुए कहा, "समझ गया. इतना नर्म हाथ सोनिया के अलावा और किसी का नही हो सकता."
"ओह. तुमने कैसे अंदाजा लगा लिया?" बीस बाईस साल की वह लड़की अब सामने आ गई थी. पहनावे से वह मिडिल क्लास लग रही थी.
"भला मुझे तुम्हारे बारे में अंदाज़ लगाने की क्या ज़रूरत है. तुम तो मेरी रग रग में बसी हो." हंसराज ने लगावट भरी नज़रों से उसे देखते हुए कहा.
"यह बताओ, तुम कहाँ थे इतने दिनों से? तुम्हारी याद आ रही थी."
"मेरी याद आ रही थी? या मुझसे कोई काम पड़ गया था?" हंसराज ने उसे शंकित दृष्टि से देखा.
"तुम तो हमेशा मेरे बारे में ग़लत ही सोचते हो. क्या मैं तुम्हें याद नही कर सकती?" उसने मुंह बनाकर कहा.
"कर क्यों नही सकती. लेकिन तुम जब भी मेरे पास आती हो, तुम्हारा कोई न कोई मतलब होता है. अब जल्दी से वह मतलब बताओ ताकि मैं चैन की साँस छोड़ सकूं."
"व वो बात यह है कि....." सोनिया ने दुपट्टा उँगलियों पर लपेटते हुए कहा, "मैं ने बनिए से कुछ राशन उधार लिया था. उसके सौ रूपये बन गए है. अब वह मांग रहा है. तुम बाहर से लौटे हो और मुझे उम्मीद है कि कुछ न कुछ तुम्हारे पास ज़रूर होगा." उसने अपनी बात पूरी की.
"मैं तो पहले ही समझ गया था." हंसराज ने जेब से पर्स निकाला और सौ की एक नोट निकालकर सोनिया की ओर बढ़ा दी, "अब फूतो यहाँ से. मुझे अभी एक प्लान बनाना है."
"कैसा प्लान?" दुपट्टे से नोट बांधते हुए उसने पूछा. .............continued
उपन्यास - सूरैन का हीरो और यूनिवर्स का किंग
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उपन्यास - सूरैन का हीरो और यूनिवर्स का किंग उस लंबी कहानी की अंतिम कड़ी है
जिसके पूर्व हिस्से आप उपन्यासों - सूरैन का हीरो और
शादी का कीड़ा, सूरैन का हीरो...
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